आखिर कौन है वह, जिससे उखड़ा ममता बनर्जी का मन, कांग्रेस संग क्यों हुआ TMC का अनबन?

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही ‘इंडिया’ गठबंधन में दरार पड़ गई है. टीएमसी और कांग्रेस के बीच बनते-बनते बात बिगड़ गई. और अब ममता बनर्जी ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. ममता बनर्जी का यह फैसला ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. कांग्रेस से सीट शेयरिंग को लेकर चल रही तनातनी के बीच ममता बनर्जी ने बुधवार को ऐलान किया कि उनकी टीएमसी पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी. ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर सीट शेयरिंग में देरी और टीएमसी के प्रस्ताव को ठुकराने का आरोप लगाया. हालांकि, ममता बनर्जी ने पहले ही संकेत दे दिया था कि टीएमसी लोकसभा चुनाव में ‘एकला चलो रे’ नीति अपना सकती है. अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि ममता बनर्जी का मन कांग्रेस संग नहीं मिल पाया और उन्होंने इंडिया गठबंधन से अलग अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया.

इंडिया गठबंधन को झटका देते हुए ममता बनर्जी ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में हम लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे. हमने जो प्रस्ताव दिए थे, उन्होंने सभी टुकरा दिए. मेरा प्रस्ताव नहीं माना इसलिए अब हम अकेले चुनाव लड़ेंगे. हम बंगाल में अब कांग्रेस के टच में नहीं हैं. कांग्रेस को अपने दम पर लड़ने दीजिए. हम अपने दम पर लड़ेंगे. अंतिम निर्णय लोकसभा नतीजों के बाद लिया जाएगा.’ टीएमसी सुप्रीमो का पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला इंडिया गठबंधन में सीट-बंटवारे के मुद्दे पर चल रही खींचतान के बीच आया है.

‘इंडिया’ गठबंधन को लगा बड़ा झटका, ममता अकेले लड़ेंगी लोकसभा चुनाव, हो गया ऐलान

कहां फंसी टीएमसी और कांग्रेस की बात
दरअसल, ममता बनर्जी की टीएमसी चाहती थी कि कांग्रेस बंगाल में महज दो सीटों पर ही लोकसभा चुनाव लड़े. मगर कांग्रेस टीएमसी से 10-12 सीटों की डिमांड कर रही थी. ममता बनर्जी ने कांग्रेस की 10-12 लोकसभा सीटों की मांग को ‘अनुचित’ बताया था और पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे पर चर्चा में देरी के लिए कांग्रेस की आलोचना की थी. कांग्रेस शुरू से ही 10-12 सीटों की मांग पर अड़ी थी. टीएमसी 2021 के विधानसबा चुनाव के परिणाम के आधार पर टीएमसी ने कांग्रेस को 2 सीट देने का फैसला किया था. ममता ने बीते दिनों कहा था, ‘मैं इस बात पर जोर देती हूं कि कुछ विशेष क्षेत्रों को क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए. वे (कांग्रेस) अकेले 300 (लोकसभा) सीट पर लड़ सकते हैं और मैं उनकी मदद करूंगी. मैं उन सीट पर चुनाव नहीं लड़ूंगी लेकिन वे अपनी बात पर अड़े हुए हैं.’

अधीर रंजन चौधरी ने बिगाड़ी बात?
लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी और कांग्रेस के अलग राह होने के पीछे की वजह अधीर रंजन चौधरी को माना जा रहा है. अधीर रंजन चौधरी शुरू से ही ममता बनर्जी के खिलाफ हमलावर रहे हैं. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी शुरू से ही टीएमसी और ममता बनर्जी के मुखर आलोचक रहे हैं. अधीर रंजन चौधरी लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर टीएमसी और ममता बनर्जी पर निशाना साधते रहे हैं. मंगलवार को भी अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को अवसरवादी बताया था और कहा था कि कांग्रेस उनकी दया पर चुनाव नहीं लड़ेगी. अधीर रंजन चौधरी ने तो यहां तक कह दिया था कि ममता बनर्जी पीएम नमोदी की सेवा में लगी हुई हैं. इतना ही नहीं, अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी में भाजपा की दखलअंदाजी का भी आरोप लगाया था.

आखिर कौन है वह, जिससे उखड़ा ममता बनर्जी का मन, कांग्रेस संग क्यों हुआ TMC का अनबन?

ममता ने क्यों लिया यह फैसला
सूत्रों की मानें तो केवल ममता बनर्जी ही नहीं, पश्चिम बंगाल में भी टीएमसी के कई नेता अधीर रंजन चौधरी के बयानों से नाराज थे. इसके अलावा, ममता बनर्जी चाहती थीं कि पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर फाइनल कॉल का हक टीएमसी को मिले. मगर कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका निभाना चाहती थी. यही वजह है कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग राह चलने का फैसला किया है. ममता बनर्जी इसलिए भी नहीं चाहती थीं कि कांग्रेस को दो से अधिक सीट मिले क्योंकि 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने बेहतर प्रदर्शन किया था और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की राज्य में करारी हार हुई थी. बता दें कि कांग्रेस 2019 के चुनावों में केवल बहरामपुर सीट को बरकरार रखने में कामयाब रही, जहां से उसके पांच बार के सांसद और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी खड़े थे.

Tags: Adhir Ranjan Chaudhary, Congress, Mamata banerjee, West bengal

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